मेरा बचपन मेरी मम्मा की नज़र से...

Friday, October 29, 2010

इट्स हैलोवीन सीज़न :) -----------------अनुष्का

हलोविन ......पम्पकिन पैच
यहाँ हर वर्ष अक्टूबर महीने में एक त्यौहार बहुत बड़े स्तर पर मनाया जाता है ....हैलोवीन. हैलोवीन भूतों का त्यौहार है, जिसकी धूम पुरे महीने चलती रहती है मगर खास दिन होता है ३१ अक्टूबर जब हैलोवीन सेलिब्रेट किया जाता है. सबसे मज़ेदार बात यह है कि हलोविन घरों में ही नहीं, स्कूल, कोलेजेस, माल्स, ऑफिसेस में भी मनाया जाता है और इस दिन हैलोवीन पार्टी में सब लोग अलग अलग कोस्ट्युम पहनते है ...फेंसी ड्रेस जैसे . अब सब से खतरनाक बात यह है कि चूँकि यह भूतों का त्यौहार है तो इस महीने कि शुरुआत से ही घरों दुकानों और  सब जगह जो डेकोरेशन होता है वो बहुत डरावना होता है .  कही कंकाल टंगे होते है, तो कही पट्टियों वाला भूत, कहीं बड़ा सा मकड़ी का जाला लगा होता है और कहीं टूटे खून से सने हाथ ,पैर ,सर इत्यादि और पम्पकिन... अपना कद्दू . वह तो हैलोवीन डेकोरेशन का सबसे खास हिस्सा है ....पता नहीं यहाँ सबको कद्दू क्यों इतना डरावना लगता है . उसके बड़े से आँख ,नाक, दाँत बनाकर उसे तो हर घर में रखा ही जाता है . घर ही नहीं सभी दूर दुकान, ऑफिस अस्पताल ...बड़े बड़े और छोटे छोटे हर तरह के कद्दू . हैलोवीन पार्टी में भी बहुत से लोग बड़े भी और छोटे भी बड़े डरावने कास्ट्यूम पहनते है और कुछ बहुत प्यारे प्यारे सुन्दर कास्ट्यूम भी पहनते है .
मुझे भी हैलोवीन में बहुत मज़ा आता है ....स्कूल में टीचर पुरे महीने से हैलोवीन वाली कहानियाँ तो सुना ही रही है, अलग अलग हैलोवीन शोपस में हैलोवीन के सामान देखना भी मुझे अच्छा लगता है .
पम्पकिन फार्म.....ढ़ेर सारे पम्किन! मैं कौन सा लू ममा ??
पिछले साल लॉन्ग आईलेंड में पम्किन पैच
मेरा सबसे फेवरेट पार्ट है जब ममा पापा के साथ में पम्पकिन पैच के लिए जाती हूँ ...हम भी कद्दू ले ही आते है और उस वक्त वहाँ मेरे मनरोंजन को बहुत सी चीजें होती है ......

पापा उधर झूले भी है ...मुझे झुलाओ न

गोच्चा ....मैंने दो बड़े बड़े पम्किन लिए :)
दरसल फार्म्स जहाँ ये पम्किन होते है वही से सीधे सब लेने जाते है और बच्चों के मनोरंजन की वहाँ व्यवस्था की जाती है .
अब इस त्यौहार का बेस्ट पार्ट यह है कि इस दिन सभी कोस्ट्युम पहन कर घर घर टॉफी चोकलेट माँगने जाते है और सब लोग उन्हें चोकलेट्स देते है जो मुझे बहुत लुभाता है . पिछले साल हम लॉन्ग अईलेंड में पम्किन पैच के लिए गए थे और स्कूल में भी बहुत मज़े से हलोविन परेड और पार्टी मनाई गई
मैं ब्लेक केट का कास्ट्यूम पहन कर गई थी .केट बन कर मुझे इतना मज़ा आया मैं पूरी पार्टी में म्याऊ म्याऊ करती रही ..
म्याऊ म्याऊ .....किसको खाऊं
मेरी टीचर्स और दुसरे सभी लोगों ने मुझे ढ़ेर सारे चोकलेट्स भी दिए थे .
मेरी टीचर भी कोस्ट्युम में ही है .....हमारे लिए गेम बता रही है

टीचर ने मुझे ढ़ेर साड़ी चोकलेट दी है ...वही खा रही हूँ



स्कूल में हैलोवीन पार्टी





स्कूल में क्राफ्ट एक्टिविटी में ममा मुझे गाईड कर रही है

ब्रोड वे माल में किड्स हैलोवीन पार्टी में फ्रेंड्स के साथ डांस 















इस बार यहाँ लॉस एंजेलिस में भी मेरे स्कूल में हैलोवीन मनाया जाएगा ....उसमे मैं क्या कास्ट्यूम पहनती हूँ, यह अभी सरप्राईज़ है. जल्द ही आपको यहाँ के पम्पकिन पेच और हैलोवीन पार्टी की रिपोर्ट दूंगी....!!!

Tuesday, October 26, 2010

यारों, मैं इण्डिया चली ----------------अनुष्का


१७ नवम्बर २००७ .....निवार्क एयरपोर्ट से आज शाम हम मुंबई के लिए उड़ान भरने वाले है . मैं बहुत ख़ुशी ख़ुशी ममा के  साथ तैयार हो कर बाहर निकली .....मुझे बाहर घूमना बहुत पसंद है, सर्दी भी अब बड़ चुकी है. पापा हम लोगो के साथ एयरपोर्ट आए. मुझे तो यह पता ही  नहीं था कि पापा हमारे साथ नहीं जारहे इसलिए सेक्योरिटी चेक के बाद ही मैं पापा को खोजने लगी .....प्लेन में एयर प्रेशर के कारण मैं थोड़ा रोई भी लेकिन ममा की सबसे बड़ी उलझन तो यह थी कि अभी ८-१० दिन ही हुए थे जो मैंने घुटने चलना शुरू किया था अब मैं बेसिनेट मैं १८ घंटे कैसे चुप चाप बैठूं !!
मैंने इतनी आफत की, आखिरकार ममा को अपनी सबसे आगे की सिट छोड़ कर सबसे पीछे खुले स्पेस में आना पढ़ा जहाँ मैं मज़े से तफरी कर सकू ...ममा वही ब्लेंकेट बिछा कर बैठ गई . सारे क्रू मेम्बर्स भी आते जाते मेरे साथ खैल रहे थे और पेसेंजर्स भी . जैसे ही हम मुंबई एयरपोर्ट पहुचे सबसे पहले तो गर्मी के कारण मैं घबरा गई फिर घर तक जाने में सड़क पर जो ढचके खाए कि मुझे लगा मैं गिर गई हूँ .....सारे रास्ते मैं रोती रही और ममा, मामा के साथ मिलकर हँस रही थी .
जैसे ही घर पहुंचे बहुत बड़ा सरप्राईस हमारा वेट कर रहा था ......रावटी से माई(नानीजी ) और विपिन मामासाब(छोटे मामा ) भी आए थे हमें रिसीव करने . अब आप सोचते होंगे बड़े मामा, मामा और छोटे मामासाब !! हमारे रतलाम और मालवा की  बोली बड़ी अदब की है . उधर ऐसे ही बोला जाता है तो ममा भी मुझे यू ही सिखाती है लेकिन बड़े मामासाब को तो मेरे मूह से बस मामा सुनना ही पसंद है इसलिए वो मामा ही है :)
माई (नानीजी ) तो मुझे देखते ही रो पड़ी और गोद में लेकर बहुत प्यार किया इधर ममा भी अर्युश को गोद में लेकर ऐसा ही कर रही है मुझे बहुत हैरानी हुई मैं तो सब से मिल कर इतना खुश हूँ ....ममा रो रही है !!
मेरी और अर्युश की यह पहली मुलाकात थी वो मुझसे बस २ महीने छोटा है . हम दोनों की खूब जमी . १ दिन माई, मामा, मामीसाब और प्यारे अर्युश के साथ बहुत मज़े से गुज़ारा. १ दिन का ब्रेक लेकर मेरे चाचू के साथ अगले ही दिन हमने मुम्बई से इंदौर के लिए उड़ान  ली . १ दिन सब से मिलकर अच्छा लगा लेकिन डैडीजी (नानाजी ) से मिलना तो बाकी है . वो नहीं आ सके मुम्बई, उन्हें ऑफिस का काम जो था . ये ऑफिस में इतना काम क्यों होता है सबको !!!



देव दिवाली का दिन था ......दू  दादी भी हमें लेने आए थे . मैंने जैसे ही दादी को देखा तुरंत ममा की गोद से फुदक कर उनके पास चली गई ...दादी बहुत खुश हुई उन्हें लगा में ३ महीनो में उन्हें भूल जाऊँगी. अब उन्हें क्या पता मैंने उन्हें कितना मीस किया ......


दादी ने द्वार पर मेरे स्वागत में सुन्दर सी रंगोली भी बनाई थी और दादू ने घर में बलून लगाए थे .....

चाचू , दादू , दादी और दादी माँ से मिलकर सारा दिन मैं बहुत खुश रही लेकिन रात होते ही रोना शुरू .....शायद पापा की याद आरही है ...... चाचू ने मुझे गोद में लेकर घूम घूम कर सुलाया.

Sunday, October 24, 2010

पापा की बड़ी उलझन-------------अनुष्का


मेरे सारे डाक्युमेंट्स आते ही बस हमारा इण्डिया विज़िट तय हो गया ....पापा ने छुट्टियों के लिए आवेदन दिया लेकिन उन दिनों उनके प्रोजेक्ट में इतना काम था कि अगले २ महीनो तक छुट्टियाँ मिलने की संभावना नहीं दिख रही थी इसलिए पापा ने मम्मी  और मेरे ही टिकिट्स करा दिए . ममा तो वैसे भी ३-४ महीनो के लिए जाना चाहती थी और  माई(नानी), डैडीजी(नानाजी) और दादी दादू , दादी माँ के साथ जी भर कर रहना चाहती थी  इसलिए पापा का दो महीने बाद ही आना तय हुआ
हमारे टिकिट्स होने के बाद दौर शुरू हुआ शोपिंग और पैकिंग का...... पापा के ऑफिस से आते ही हम लोग शोपिंग करने जाते और घर होते तो पैकिंग करते . तब पापा ही मेरा ध्यान रखते और मेरी शरारतों को केमरे में कैद करते रहते ....कहते तुम लोग इतने दिनों के लिए जाओगे तो मैं इन्ही तस्वीरों को देख कर मन बहलाया करूँगा .....

सुबह उठते ही मस्ती शुरू .....पापा और मेरी 
इण्डिया से माई ने याद से भिजवाई थी ये चुकनी.....मैंने ऐसे उपयोग किया  :)

मेरे जन्म के बाद से एक साल तक  हर महीने की २६ तारीख को ममा मेरा जन्मदिन मनाती थी इस बार मेरे ६ माही जन्मदिन पर मैने पापा के साथ केक काटा क्योंकि अगले माह की २६  तारीख को तो हम इण्डिया में होंगे .....
पापा और पापा के बेस्ट फ्रेंड मेरे बेस्ट चाचू ....विशाल चाचू के साथ ६ माही जन्मदिन
इण्डिया जाने के बाद तुरंत ही हमें जयपुर जाना है ...मेरी भुआ( पापा की भुआ की बेटी ) की शादी है .....जहाँ मेरा सभी से मिलना भी होगा इसीलिए ममा बहुत बिज़ी है पैकिंग में ...मैं भी बहुत मदद कराती हूँ  :)
उफ़ ! कितना काम है ...

Saturday, October 23, 2010

मैया मोरी, मैं.... नहीं माखन खायों {अनुष्का }

अब जब अन्न प्राशन के बाद खाने पिने की पूरी छुट मिल ही गई है तो फिर क्या खीर और क्या माखन सबके सब ललचाने लगे ....जब ममा मुझे एक्सरसोसर में छोड़ कर पापा का खाना लगाती ममा के जाते ही तुरंत दही मक्खन पर धावा हो जाता ....


अभी ज़रा हाथ और बढ़ाना है .....फुदक फुदक कर 

मैंने तो कुछ नहीं खाया ....अपने देखा क्या ??


फिर अगर मैं माना भी कहूँ कि सब कुछ मैंने नहीं गिराया तो मेरे चहरे को देख कर सब ज़ोर ज़ोर से हँसने लगते ....लेकिन आप नहीं हँसियेगा....नहीं नहीं , बिलकुल नहीं :)

Friday, October 22, 2010

मामा के साथ सैर सपाटा ------------अनुष्का

जैसा मैंने बताया था की मेरे अन्न प्राशन के लिए मेरे बड़े मामा, नितिन मामा आए थे. मेरे अन्न प्राशन संस्कार के बाद वो ३ दिन हमारे साथ रहे उन ३ दिनों में हम लोगों बहुत सैर सपाटा किया और मामा ने जी भर कर मुझे खिलाया ....

कभी कभी मेरी हरकतों को देख अपने बेटे यानी मेरे प्यारे भैया अर्युश को भी याद करते


हम लोग ३ दिनों में न्यू यार्क, वाशिंटन और फिलाडेल्फिया घुमे ....



जब मामा वापिस गए तो उन्हें तो बुरा लग ही रहा था ....ममा भी रोने लगी तब पापा ने ममा को बताया कि अगले महीने तक हम लोग भी इण्डिया जाएंगे तब उन्हें थोड़ा अच्छा लगा ....अब इंतज़ार शुरू हमारे इण्डिया जाने का :)

Tuesday, October 19, 2010

मैंने भी देखा रावण दहन ---------------अनुष्का

दशहरे के दिन शाम को मम्मी पापा के साथ मैं यहाँ पास के मंदिर गई ......जहाँ आस पास रहने वाले सभी हिन्दुस्तानियों ने मिलकर रावण दहन का आयोजन किया था. रावण थोड़ा छोटा था लेकिन यहाँ आतिशबाजी और इस तरह के आयोजनों की अनुमति नहीं होती...इसके लिए स्पेशल परमिशन की ज़रूरत होती है . मम्मी बता रही थी न्यू  जर्सी में जहाँ हम रहते थे वहाँ और भी बड़ा रावण बनाया जाता है, पर मैंने तो यहाँ भी आनन्द लिए ....
अंकल लोग रावण के पुतले में पटाखे लगा रहे है

मेरे जैसे बहुत से बच्चे बहुत उत्साह से देख रहे थे सब कुछ 

ये दशानन 

ये हुआ दहन 
 
  
देखिये यहाँ के रावण दहन का छोटा सा दृश्य

Monday, October 18, 2010

लॉस एंजेलिस{अमेरिका } में डांडिया रास -------------अनुष्का

महादुर्गा नवमी के दिन सुबह सवेरे मैंने मम्मी-पापा और चाचू  के साथ कुलदेवी का पूजन किया अर्चना के बाद प्रसाद लेकर शाम को हम सब मंदिर गए और फिर पहुचे..... एनेहेम कन्वेंशन सेंटर, लॉस एंजेलिस. जहाँ पर यहाँ स्थित भारत वासियों ने मिलकर डांडिया नाईट का आयोजन किया था. जब मम्मी ने मुझे कहा की हम गरबा खेलने जारहे है, तो मैं अपना लहंगा याद करके बहुत रोई ...क्योकि वो न्यू जर्सी में रखा है . हम लोग तो यहाँ बस २ महीनो के लिए आए थे सोचा ही नहीं था कि नवरात्री, दीपावली सब यही पर मनाना पड़ सकता है .....फिर मम्मी ने बहला फुसला कर मुझे यह ड्रेस पहना कर रेडी किया ....
वैसे यह भी ठीक ही लग रही है :)
तो फिर चले डांडिया खेलने ....


पहले मंदिर में माँ की वंदना 


पूजन 
एनेहेम कन्वेंशन सेंटर, लॉस एंजेलिस
इस भीड़ भाड़ में बहुत से अमेरिकन लोग भी है जो बिलकुल भारतियों की तरह सजे धजे है
अरे चाचू , चलो न .....मुझे भी डांडिया खेलना है !

पापा के साथ बहुत मज़े आरहे है डांडिया में 
एक राउंड मम्मी के साथ भी


अचको मचको का करू राम ....
सनेड़ो सनेड़ो....
ओह ! रात के २ बज गए तो ख़त्म ........पर मुझे तो और करना है :(
डांडिया के साथ साथ कन्वेंशन सेंटर में बहुत ही लज़ीज़ हिन्दुस्तानी खाने के स्टाल भी लगे थे ...छोले भटूरे, पाँव भाजी, समोसे, कचोरी, पानी पूड़ी और पापड़ी चाट भी . मैंने छोले भटूरे बहुत मज़े से खाए और समोसे भी ....वहाँ गरबा खेलने के लिए सिर्फ भारतीय लोग ही नहीं थे बल्कि बहुत लोग अपने ग्रुप में अपने अमेरिकन दोस्तों को भी लेकर आए थे . वे लोग भी हम लोगो कि ही तरह सजे धजे थे और बहुत आनन्द लेकर गरबा कर रहे थे . कुछ घंटों के लिए ही सही लेकिन वहाँ जाकर हम यह बिलकुल भूल गाए थे कि हम यहाँ अपने देश अपने लोगों से दूर सात समन्दर पार है .......वहाँ तो सब अपने थे बस जाकर खड़े होने की देर और हर कोई प्रसन्न मन से हमारे साथ थिरकने लगता यही सही अर्थों में अपनापन, प्यार और एकता है .
आप भी अपनी आँखों से देखिये इस वीडियों में..... लॉस एंजेलिस में नवरात्री में हुई रास गरबे की धूम और अंत में मैंने भी मम्मी पापा के साथ कितना डांडिया किया और भरपूर आनन्द लिया ....


Thursday, October 14, 2010

अन्न प्राशन संस्कार को आए मामा -----------------------अनुष्का

जैसा की मैंने आपको बताया था की मैं ५ महीनों की होने को थी लेकिन मेरा पी. आई. ओ. कार्ड तो अब तक आया नहीं था. इस कारण मैं इण्डिया नहीं जा पारही थी . अन्न प्राशन तो मामा के हाथों होना था. सब लोग दुविधा में ही थे कि मेरे प्यारे नितिन मामा ने किया मेजिक..................मैं नहीं जा पारही थी तो क्या नितिन मामा खुद चले आए और लाए ढ़ेर सारे प्यारे प्यारे गिफ्ट्स.
अन्न प्राशन संस्कार के दिन मम्मा पापा ने मिलकर खूब अच्छे से हमारे घर को सजाया, मम्मी और उनकी फ्रेंड्स ने मिलकर तरह तरह के पकवान बानाए .पूजा रचा के बाद मामा ने अपने हाथों से चाँदी कि कटोरी में चाँदी के चम्मच से मुझे खीर खिलाई और मेरी आरती की. इस दिन मामा चाँदी के ५ पात्र लाए मेरे भोजन करने को और खेलने को एक चाँदी का झुन झुना भी ....
नितिन मामा मुझे खीर खिला रहे है 

मामा मुझसे मिल कर बड़े खुश है और मैं भी .....अब खाना शुरू 
उसके बाद मम्मा पापा और एक एक कर के सभी मेहमानों ने मुझे बारी बारी अपने हाथों से खीर खिलाई और मुझे आशीर्वाद प्रदान किया .

अब आई मम्मा पापा की बारी 
मेरी छोटी छोटी प्यारी सहेलियाँ पुरे समय मेरे साथ रही और मुझे बहलाती रही .सब कुछ बहुत अच्छे हुआ .


उधर इण्डिया में दादू दादी ये सब कुछ वेबकेम पर देख रहे थे. उन्होंने भी मुझे बहुत सारे आशीर्वाद दिए .पापा ने अपने ऑफिस के विदेशी मित्रों को भी आमंत्रित किया था. उन सभी ने इस पुरे फंक्शन को बहुत एन्जॉय किया उसमे भाग भी लिया और भौजन का भी आनंद लिया  .
पापा के विदेशी मित्र मेरी आरती करते हुए 

खाना खाते वक्त उनके गोरे गोरे गाल लाल हो गए और आँखों से पानी आने लगा कहते रहे इट्स टू हॉट , बट वेरी टेस्टी :)

यम यम