जैसे जैसे मैं बड़ी हो रही थी सबको अच्छे से पहचानने भी लगी, अब तो मैं सबकी बातों में भी शिरकत करती....हूँ हूँ कर कर के । जब सभी लोग मुझसे बहुत सारी बातें करते तो मुझे भी बड़ा मज़ा आता ।

एक दिन दादू दादी ने कहा आज अनुष्का ४० दिन की हो गई है । इण्डिया से दादी माँ (पापा की दादी ) ने कहा है कि आज जलवा और सूरज पूजन करना है । दरसल दादी तो जब में १३ दिन की हुई थी तब ही यह पूजन रखना चाहते थे लेकिन मम्मा के स्वास्थ्य में सुधार नहीं हो पा रहा था इसीलिए तब नहीं की ...दादी अक्सर पापा को कहती कि ये सिर्फ मेरा ही जन्म नहीं था । मम्मा का भी दूसरा जन्म था इसीलिए पुराने ज़माने मैं बुज़ुर्गों ने इस पूजन का रिवाज़ बनाया ताकि बच्चे के जन्म के बाद माँ को स्वास्थय लाभ लेने का सही समय मिल सके । इस पूजन के बाद ही मम्मा अब रसोई में काम भी करेगी और बहार आना जाना भी शुरू हो जाएगा ....आखिर अब मुझे भी तो बहार घूमना है न ।
जलवा पूजन में वैसे तो बाकायदा कुँवें पर जाकर जल पूजन किया जाता है पर यहाँ तो मम्मा ने जल से भरे कलश की ही पूजन की और सूर्य देव का दर्शन पूजन किया .....कहते है माँ यशोदा ने भी कृष्ण जन्म के बाद यह पूजन किया था । इसी दिन बच्चे का पालना भी सजाते है । यहाँ तो दादू दादी ऐसा न कर सके पर जब में इंदौर गई तो उन्होंने मेरे लिए पालना डाला था और उधर रावटी में डैडीजी (नानाजी ) ने भी ...

मैंने भी सुन्दर नए कपड़े पहने और सबने दादी के हाथों बने स्वादिष्ट पकवान खाए लेकिन मैंने नहीं ......मैं तो अभी छोटी हूँ न कुछ खा नहीं सकती ।

एक और मजेदार बात यह हुई कि दादू ने मेरी जन्मकुंडली बना कर मेरा जन्म नाम मीनाक्षी रखा और बताया कि मैं बड़ी होकर गवर्नर बनूगी ...उन्हें कुंडली देखना अच्छा लगता है ।


वो अक्सर खाली समय में मम्मा-पापा और चाचू कि कुंडली देख कर मज़ेदार बातें बताया करते ...इधर मुझे तो बड़े होने में बहुत मज़ा आरहा है

चित्रों में पापा के साथ दिखाई देने वाले चाचू पापा के परम मित्र है .....उन दिनों ये और पापा एक साथ एक ही कंपनी में एक ही प्रोजेक्ट पर काम कर रहे थे । चाचू का अपना यहाँ कोई ना था तो वो हमारे ही साथ रहते थे । वो भी मुझे बहुत बहुत प्यार करते है ....एक और मज़े की बात ये है कि इनका भी नाम विशाल है जो मेरे पापा का नाम है । अब तो चाची आगई है ....वो भी मुझे चाचू की तरह बहुत प्यार करती है । उनसे फिर कभी मिलाऊँगी ....