मेरा बचपन मेरी मम्मा की नज़र से...

Friday, November 12, 2010

मेरी लिखाई के कुछ नमूने और स्टोरी गेम--------------अनुष्का

मैंने अपनी पिछली पोस्ट में मेरे स्कूल जाने और पढ़ाई लिखाई की शुरुआत के बारे में बताया तब ही मुझे यह बात याद आई की मैने आपको अपनी पढ़ाई की शुरुआत का विशेष दिन मेरे विद्या आरम्भ संस्कार (अक्षर पूजन ) के बारे में तो बताया ही नहीं.....!!
खैर कोई बात नहीं उसके बारे में मैं आपको अगली पोस्ट में सब कुछ विस्तार से बताउंगी लेकिन आज आप देखिये मेरी लिखाई के कुछ नमूने.....


शुरुआत में मुझे पेन, पेन्सिल पकड़ने में भी बड़ी दिक्कत होती थी . मैं पढ़ने में तो बहुत खुश हो जाती लेकिन लिखना मुझे बहुत बोर करता था.  तब लेखन को रोचक बनाने के लिए मम्मा ने एक तरकीब लगाई . मुझे एनिमल्स बहुत अच्छे लगते है . बहुत से एनिमल्स के नाम पता है मुझे ....कई बार ज़ू में जाकर देखा भी है और कहानी सुनने का भी शौक है तो ममा मुझे स्टोरी गेम खिलाती थी . पेन से पेपर पर अलग अलग जानवरों की तस्वीरें बना देती या उनके स्टीकर लगा देती और मेरे हाथ में कलम थमा देती फिर उनकी कहानी के हिसाब से मैं पेन चला कर एक जानवर को दुसरे जानवर के पास लेजाती और इस तरह ममा की कहानी मेरे पेपर पर कलम से भी चलती ...रूचि आने लगी और कलम पर मेरी पकड़ बन गई :) 
इस तरह मेरे लिए ममा के द्वारा इजाद किया गया यह गेम भी सार्थक सिद्ध हुआ .
अब तो लिखना मुझे अच्छा लगता है . अब तो कभी कभी मैं ही ममा को स्टोरी गेम खेलने के लिए कहती हूँ . वैसे अब मुझे अंक ज्ञान भी हो गया है पहचानना तो मुझे आता ही है लेकिन कुछ कुछ अंक मैं लिखना भी सिख गई हूँ जल्द ही १-१० तक पुरे सिख कर आपको दिखाउंगी
फिलहाल आप बताइए कैसी लगी मेरी लिखावट !!

17 comments:

संगीता स्वरुप ( गीत ) said...

अरे वाह ..तुम्हारी मम्मी ने तो बहुत अच्छा तरीका ढूँढ निकाला कलम पकड़ना सिखाने के लिए ...और लिखावट बहुत अच्छी है ..थोड़ी और प्रेक्टिस करो ...अभी तो डोट्स पर लिखा है न ...अब बिना डोट्स के लिखने की कोशिश करना ....बहुत सारा प्यार

संजय भास्‍कर said...

वाह बेटा खूब पढो लिखो।

संजय भास्‍कर said...

lage raho.
practis bahut zaroori hai
dheere dheere likhna sikh jaoge.
...........love u anuska

Yashwant R. B. Mathur said...

अनु!बहुत अच्छी लगी तुम्हारी राइटिंग.और ममा ने तो कमाल ही कर दिया,बहुत अच्छा तरीका खोजा तुम्हें सिखाने के लिए.
ऐसे ही धीरे धीरे तुम सब सीख जाओगी.
हमेशा ऐसे ही मुस्कारती रहो अनु! :):)

With a lots of Love:-

शाहिद मिर्ज़ा ''शाहिद'' said...

॒॒॒॒॒॑॑॑॑॑॓॓॓॓॓॓****
अरे हम तो अभी ऐसा ही लिख पा रहे हैं
(हा हा हा)

Sadhana Vaid said...

तुम्हारी लिखावट तो बहुत प्यारी है अनुष्का रानी ! और तुम्हारी मम्मी ने स्टोरी गेम वाला तरीका भी अनोखा इजाद किया है कलम पकडना सिखाने के लिये ! जिन्हें दिक्कत आ रही हो बच्चों के कलम पकडना सिखाने में तो वे लोग भी इसे आज़मा सकते हैं ! तुम खूब पढ़ लिख कर बहुत ज्ञानवान बनो यही हमारा आशीर्वाद है ! ढेर सारे प्यार के साथ तुम्हारे लिये अनेक शुभकामनाएं भी भेज रही हूँ स्वीकार करना !

ताऊ रामपुरिया said...

हम तो लेट हो गये अनुष्का यहां आने में. तुमने लिखना शुरू कर दिया और बाकी के लिये चेलेंज भी ले लिया, अब देखते हैं कब तक सारे लिख कर दिखाती हो. वैसे जीवन में चेलेंज स्वीकार करने वाले ही कुछ कर दिखाते हैं और एक दिन ऊंचाईयां हासिल करते हैं. बहुत प्यार.

रामराम.

Yashwant R. B. Mathur said...

बाल दिवस की शुभ कामनाएं!:)

Akshitaa (Pakhi) said...

वाह, अच्छी शुरुआत है...बधाई.

Chinmayee said...

बहुत अच्छी बात है ... और लिखो ... बहुत कुछ लिखना है ...
बाल दिवस की हार्दिक शुभकामनायें.....

Archana Chaoji said...

आज सिर्फ़ बधाई..शुभकामनाएं और आशिर्वाद...

Anonymous said...

मम्मा का तरीका तो लाजवाब है.. :)

बाल दिवस की शुभकामनायें...

BAL SAJAG said...

Anu Bal Diwas par dhero badhaiya

रावेंद्रकुमार रवि said...

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अनुष्का सहित दुनिया के सभी बच्चों को
मेरी तरफ से बहुत-बहुत प्यार!

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Chaitanyaa Sharma said...

बाल दिवस की शुभकामनायें....

बहुत सुंदर लिख रही हो...... अरे हाँ सुंदर..... ऐसा लिखना भी बहुत मुश्किल होता है..... मुझे पता है :)

डॉ. रूपचन्द्र शास्त्री 'मयंक' said...

बहुत सुन्दर पोस्ट सजाई है आपने!
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पोस्ट के लिए बहुत सुन्दर आलेख है आपका!
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बहुत-बहुत शुभकामनाएँ!
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आपकी पोस्ट की चर्चा तो बाल चर्चा मंच पर भी है!
http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/11/28_15.html

निर्मला कपिला said...

ारे वाह बेटा जवाब नही तुम्हारे मम्मी और मामू का। लिखावट बहुत अच्छी लग रही है। बहुत बहुत आशीर्वाद।