आज आप सबको मैं एक गाना सुना रही हूँ . यह गाना मेरी फेवरेट हिंदी मूवी थ्री इडियट्स का है .मैंने इसे कई बार देखा है .सब लोग मुझे कहते है कि जाने मुझे क्या समझ आता है लेकिन मुझे तो बहुत पसंद है इसके गाने इसमे से एक आपको सुना रही हूँ .....गीव मी सम सन शाईन . हालांकि अब मैं इसका हिंदी पोर्शन भी गा लेती हूँ लेकिन अभी यही सुनिए यह ममा २ महीने पहले रोकोर्ड किया था . अब पूरा एक साथ जब ममा रिकोर्ड कर लेगी तब सुनाऊंगी.
अभी सुनिए, देखिये और मुझे बताइए आपको कैसा लगा मेरा गाना :)
मेरा बचपन मेरी मम्मा की नज़र से...
Thursday, November 18, 2010
गीव मी सम सन शाईन ----------अनुष्का
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Friday, November 12, 2010
मेरी लिखाई के कुछ नमूने और स्टोरी गेम--------------अनुष्का
मैंने अपनी पिछली पोस्ट में मेरे स्कूल जाने और पढ़ाई लिखाई की शुरुआत के बारे में बताया तब ही मुझे यह बात याद आई की मैने आपको अपनी पढ़ाई की शुरुआत का विशेष दिन मेरे विद्या आरम्भ संस्कार (अक्षर पूजन ) के बारे में तो बताया ही नहीं.....!!
खैर कोई बात नहीं उसके बारे में मैं आपको अगली पोस्ट में सब कुछ विस्तार से बताउंगी लेकिन आज आप देखिये मेरी लिखाई के कुछ नमूने.....
शुरुआत में मुझे पेन, पेन्सिल पकड़ने में भी बड़ी दिक्कत होती थी . मैं पढ़ने में तो बहुत खुश हो जाती लेकिन लिखना मुझे बहुत बोर करता था. तब लेखन को रोचक बनाने के लिए मम्मा ने एक तरकीब लगाई . मुझे एनिमल्स बहुत अच्छे लगते है . बहुत से एनिमल्स के नाम पता है मुझे ....कई बार ज़ू में जाकर देखा भी है और कहानी सुनने का भी शौक है तो ममा मुझे स्टोरी गेम खिलाती थी . पेन से पेपर पर अलग अलग जानवरों की तस्वीरें बना देती या उनके स्टीकर लगा देती और मेरे हाथ में कलम थमा देती फिर उनकी कहानी के हिसाब से मैं पेन चला कर एक जानवर को दुसरे जानवर के पास लेजाती और इस तरह ममा की कहानी मेरे पेपर पर कलम से भी चलती ...रूचि आने लगी और कलम पर मेरी पकड़ बन गई :)
इस तरह मेरे लिए ममा के द्वारा इजाद किया गया यह गेम भी सार्थक सिद्ध हुआ .
अब तो लिखना मुझे अच्छा लगता है . अब तो कभी कभी मैं ही ममा को स्टोरी गेम खेलने के लिए कहती हूँ . वैसे अब मुझे अंक ज्ञान भी हो गया है पहचानना तो मुझे आता ही है लेकिन कुछ कुछ अंक मैं लिखना भी सिख गई हूँ जल्द ही १-१० तक पुरे सिख कर आपको दिखाउंगी
फिलहाल आप बताइए कैसी लगी मेरी लिखावट !!
खैर कोई बात नहीं उसके बारे में मैं आपको अगली पोस्ट में सब कुछ विस्तार से बताउंगी लेकिन आज आप देखिये मेरी लिखाई के कुछ नमूने.....
शुरुआत में मुझे पेन, पेन्सिल पकड़ने में भी बड़ी दिक्कत होती थी . मैं पढ़ने में तो बहुत खुश हो जाती लेकिन लिखना मुझे बहुत बोर करता था. तब लेखन को रोचक बनाने के लिए मम्मा ने एक तरकीब लगाई . मुझे एनिमल्स बहुत अच्छे लगते है . बहुत से एनिमल्स के नाम पता है मुझे ....कई बार ज़ू में जाकर देखा भी है और कहानी सुनने का भी शौक है तो ममा मुझे स्टोरी गेम खिलाती थी . पेन से पेपर पर अलग अलग जानवरों की तस्वीरें बना देती या उनके स्टीकर लगा देती और मेरे हाथ में कलम थमा देती फिर उनकी कहानी के हिसाब से मैं पेन चला कर एक जानवर को दुसरे जानवर के पास लेजाती और इस तरह ममा की कहानी मेरे पेपर पर कलम से भी चलती ...रूचि आने लगी और कलम पर मेरी पकड़ बन गई :)
इस तरह मेरे लिए ममा के द्वारा इजाद किया गया यह गेम भी सार्थक सिद्ध हुआ .
अब तो लिखना मुझे अच्छा लगता है . अब तो कभी कभी मैं ही ममा को स्टोरी गेम खेलने के लिए कहती हूँ . वैसे अब मुझे अंक ज्ञान भी हो गया है पहचानना तो मुझे आता ही है लेकिन कुछ कुछ अंक मैं लिखना भी सिख गई हूँ जल्द ही १-१० तक पुरे सिख कर आपको दिखाउंगी
फिलहाल आप बताइए कैसी लगी मेरी लिखावट !!
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Wednesday, November 10, 2010
स्कूल चले हम -------------अनुष्का
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रेडी फॉर स्कूल |
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बाय बाय ममा |
किडी एकेडमी (लॉन्ग आईलेंड ) में मेरा लास्ट डे |
मेरी बेस्ट फ्रेंड |
मेरी बेस्ट फ्रेंड |
मीस मोरीसा जिन्हें मैं अब तक नहीं भूली |
एक साथ लंच करते , एक साथ नेप लेते लेकिन पापा का प्रोजेक्ट चेंज हो गया और हम यहाँ लॉस एंजेलिस चले आए यहाँ मैंने २ महीने का समर केम्प लिटिल बेबी जिम में लिया उसके बाद स्कूल .अब मैं यहाँ नए स्कूल में जाती हूँ. मेरे नए स्कूल का नाम सेंट अब्राम प्री स्कूल है .....यहाँ भी मेरी टीचर मिस एंडी बहुत अच्छी है मेरा अच्छे से ख्याल रखती है और हर रोज़ एक नई कहानी सुनाती है (उनकी तस्वीर हेलोवीन सेलिब्रेशन के दिन वो मेरे साथ थी )और मैं पेन्सिल पकड़ना भी सिख गई हूँ ...अब टीचर मुझे स्कूल में राईटिंग की प्रेक्टिस भी कराती है ....वैसे मुझे कलर करने में ज्यादा मज़ा आता है. स्कूल जाना मुझे बहुत पसंद है. ममा की परेशानी तो अक्सर बढ़ जाती है वीकेंड में जब मैं स्कूल जाने की जिद्द कर बैठती हूँ ...
एक दिन स्कूल से आते वक्त ममा से हमारी ठन गई ...जाते ही वीडियो गेम खेलने के लिए ममा न मानी तो हम अंगद ही बन गए :) |
Tuesday, November 9, 2010
दीपावली रिपोर्ट ----------------अनुष्का
मैंने आपको बताया ही था कि इस बार अपने घर और फ्रेंड्स से दूर हमें दीपावली के दिन यहाँ बहुत अकेलापन महसूस हो रहा था . उधर न्यूजर्सी में हमारे जानने वालों को भी हमारी याद आरही थी . सारे दिन फोन पर बातों का दौर चलता रहा . इन्टरनेट की कृपा है कि इंदौर से दादू दादी और रावटी से माई((नानीजी ) डैडीजी (नानाजी ), मामासाब टाइम टाइम पर ऑनलाइन आते रहे . जिससे हमें थोड़ा अच्छा लगा . दीपावली के दिन शाम को ममा ने यही हमारे होटल सुइट में ही लक्ष्मी पूजन की तैयारिया की ....
मैंने भी ममा पापा के साथ लक्ष्मी देवी का पूजन किया . इस बार मेरा फेवरेट लहंगा जो डंडिया में , मैं मीस कर रही थी पापा अपनी ओफिश्यल विज़िट पर जब न्यूजर्सी गए थे तो अपने साथ लेकर आगए ...मैंने वही पहना था :)
पूजन को में भी तैयार हूँ ..!! |
जय माँ |
लेकिन पटाखें हम यहाँ नहीं जला सके, पर सुबह दादी ने मुझे वीडियो पर फुलझड़ी चला कर दिखाई थी ......तो ऐसी मनी दीपावली हमारी ..!!!
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Wednesday, November 3, 2010
लो आई दीपावली, लाई प्यारी प्यारी याद -------------अनुष्का
आज मम्मी ने मुझे बताया की दीपावली आगई है तो मैंने ममा से पूछा दीपावली में हम क्या करेंगे ....ममा ने मुझे दीपावली से जुड़ी बहुत सी बातें बताई और बताया कि इण्डिया में इस त्यौहार की कैसी धूम होती है .मैंने तो अब तक इण्डिया की एक भी दीपावली नहीं देखी लेकिन जब ममा ने मुझे याद दिलाया तो मुझे यहाँ की दोनों पिछली दीपावली पर हमने यहाँ भी अच्छे से दीपावली मनाई थी तो मुझे वो सब बातें याद आई.......
सबसे पहली दीपावली का तो कुछ ध्यान नहीं मुझे . वैसे भी पहली दीपावली पर हमारे फर्स्ट इण्डिया विज़िट की तैयारियाँ चल रही थी तो ममा कुछ खास कर न सकी . हर साल ममा-पापा दीपावली का त्यौहार यथासंभव यहाँ अच्छे से मानते है . हम लोग नए नए कपड़े पहनते है, ममा तरह तरह की मिठाइयाँ बनाती है, हम सब साथ मिलकर लक्ष्मी पूजन करते है, मंदिर जाते है ....
ममा-पापा को सब लोगो से मिलना मिलाना बहुत पसंद है इसीलिए ममा अक्सर कोई न कोई गेदरिंग ओर्गेनाइज़ करती ही रहती है तो फिर दीपावली के दिन न करे ऐसा तो हो नहीं सकता ....वो पापा के ऑफिस के फ्रेंड्स और हमारे पास पड़ोस के फ्रेंड्स को भी पूजन पर बुलाती है ...पूजा के बाद सब एक साथ खाना खाते है और फिर शुरू होजाती है इन सबकी गोष्ठी लेकिन बीच बीच में मेरी मस्ती भी चलती रहती है . कभी कभी सब लोग कोई गेम खेलते है तो कभी गीत, कविता या किस्सों का दौर चलता है .....
वर्ष २००८ की दीपावली पर हमारे साथ विशाल चाचू ,भाविनी चची, सुजाता ताई, श्री अंकल, प्रशांत भैया, शशि अंकल, दुर्बा आंटी और दिबाकर अंकल थे फिर आचानक आर्थिक मंदी का वो दौर शुरू हुआ कि ये सब लोग एक एक कर स्वदेश चले गए. कुछ महीनो पहले विशाल चाचू, चची लौटे है पर वो बहुत दूर है यहाँ से . वर्ष २००९ में वाशिंगटन से अशोक ममा और न्यूजर्सी से अतुल अंकल, अनीता आंटी आए थे हमारे पास बहुत अच्छा लगा था लेकिन इस बार हम दूर है इन सब से ....
मुझे दीपावली में पूजन की तैयारिया कराना बहुत अच्छा लगता है और रंगोली तो मुझे बहुत बहुत पसंद है. जब ममा बनाती है तो मैं बहुत ध्यान से देखती हूँ और बिलकुल ख़राब नहीं करती. इण्डिया में लक्ष्मी पूजन के समय दादू दादी ऑनलाइन आजाते है तो हम वहाँ की पूजन में शामिल हो जाते है फिर जब हम पूजन करते है तो वो भी नेट के जरिये हमारी पूजा में शामिल हो जाते है ......ऐसे ही ऑनलाइन हम माई (नानीजी ), डैडीजी (नानाजी ) की दीपावली में भी शामिल रहते है ....ममा कहती है ज़मीन से दूर है तो क्या दिल के तो हमेशा करीब ही है :)
हम लोग ऑनलाइन एक दुसरे को अपने नए कपड़े, मिठाइयों के बारे में बताते है और दादू, मामासाब,चाचू मुझे फुलझड़ी जला कर बताते है .....मैंने अब तक कभी अपने हाथ से की जाने वाली आतिशबाज़ी के आनंद नहीं लिए ....इस बार तो हम यहाँ होटल मैं है परिचित लोगो और अपने घर से दूर. पता नहीं दीपावली पर कुछ खास कर भी पाएंगे या नहीं . बस इस बात की बहुत ख़ुशी है कि इस बार चाचू हमारे साथ है ...यही सब सोचते हुए हमने पिछली दीपावली की सारी बातें बहुत याद की ....!!!
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वर्ष २००९ की दीपावली, ममा की बनाई रंगोली मुझे बहुत अच्छी लगी |
ममा की तुलसी ...जिनका हमेशा बहुत प्यार से ध्यान रखती थी ममा तो :) |
वर्ष २००८ में न्यू जर्सी में दीपावली पूजन |
वर्ष २००८ में न्यू जर्सी में दीपावली पूजन |
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वर्ष २००९ में लॉन्ग आईलेंड में मनी दीपावली |
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वर्ष २००९ दीपावली पूजन |
वर्ष २००८ की दीपावली पर हमारे साथ विशाल चाचू ,भाविनी चची, सुजाता ताई, श्री अंकल, प्रशांत भैया, शशि अंकल, दुर्बा आंटी और दिबाकर अंकल थे फिर आचानक आर्थिक मंदी का वो दौर शुरू हुआ कि ये सब लोग एक एक कर स्वदेश चले गए. कुछ महीनो पहले विशाल चाचू, चची लौटे है पर वो बहुत दूर है यहाँ से . वर्ष २००९ में वाशिंगटन से अशोक ममा और न्यूजर्सी से अतुल अंकल, अनीता आंटी आए थे हमारे पास बहुत अच्छा लगा था लेकिन इस बार हम दूर है इन सब से ....
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अतुल अंकल, अनीता आंटी जो मुझे बहुत प्यार करते है ....मैं इनसे फोन पर बहुत बातें करती हूँ !! |
मुझे दीपावली में पूजन की तैयारिया कराना बहुत अच्छा लगता है और रंगोली तो मुझे बहुत बहुत पसंद है. जब ममा बनाती है तो मैं बहुत ध्यान से देखती हूँ और बिलकुल ख़राब नहीं करती. इण्डिया में लक्ष्मी पूजन के समय दादू दादी ऑनलाइन आजाते है तो हम वहाँ की पूजन में शामिल हो जाते है फिर जब हम पूजन करते है तो वो भी नेट के जरिये हमारी पूजा में शामिल हो जाते है ......ऐसे ही ऑनलाइन हम माई (नानीजी ), डैडीजी (नानाजी ) की दीपावली में भी शामिल रहते है ....ममा कहती है ज़मीन से दूर है तो क्या दिल के तो हमेशा करीब ही है :)
हम लोग ऑनलाइन एक दुसरे को अपने नए कपड़े, मिठाइयों के बारे में बताते है और दादू, मामासाब,चाचू मुझे फुलझड़ी जला कर बताते है .....मैंने अब तक कभी अपने हाथ से की जाने वाली आतिशबाज़ी के आनंद नहीं लिए ....इस बार तो हम यहाँ होटल मैं है परिचित लोगो और अपने घर से दूर. पता नहीं दीपावली पर कुछ खास कर भी पाएंगे या नहीं . बस इस बात की बहुत ख़ुशी है कि इस बार चाचू हमारे साथ है ...यही सब सोचते हुए हमने पिछली दीपावली की सारी बातें बहुत याद की ....!!!
आप सभी को दीपावली की बहुत बहुत शुभकामनाएँ....!!
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Tuesday, November 2, 2010
कास्ट्यूम परेड और डॉग परेड ------------------अनुष्का
किड्स कास्ट्यूम परेड |
कल शिखा मौसी ने अपने कमेन्ट में बताया था की हेलोवीन परेड भी बहुत अच्छी होती है . ममा भी बताती है न्यू यार्क और लॉस एंजेलिस दोनों ही जगह हेलोवीन की बड़ी धूम होती है . पापा ने लॉन्ग बिच सिटी में होने वाली कास्ट्यूम परेड में मेरा रजिस्ट्रेशन करा ही रखा था सो हम वही गए . उसमे पहले किड्स परेड थी बाद में बड़ो की और सबसे मज़ेदार और मनोरंजक पार्ट था डॉग परेड !! जी हाँ कुत्तों की परेड .
परेड में भाग लेने वाले सभी लोग इतनी रंगबी रंगी अलग अलग तरह की पोशाखें पहन कर आए थे ...कुछ कुछ ने तो कोई थीम ले रखी थी . पूरा ग्रुप उसी थीम पर कपड़े पहनता, वैसा ही म्युज़िक होता और वो लोग वैसा ही परफोर्मेंस भी देते ....
जब परेड शुरू हुई तो मैं ममा का हाथ पकड़ कर चल रही थी मैं अभी छोटी हूँ न ...अकेले इतनी भीड़ में गिर सकती थी . जैसा ममा ने सिखाया था मैंने सबको वैसे ही ग्रीट किया ...
मैं परेड में सबको अपनी जादुई छड़ी हिला कर ग्रीट कर रही हूँ .... |
सभी दर्शकों ने बहुत जोर की तालियों से हम बच्चों का उत्साह बड़ाया .....मुझे भी अपनी ड्रेस पर बहुत कोम्प्लिमेंट मिले . सबसे विशेष बात यह थी कि इस परेड में भारत या भारतीय मूल की मैं अकेली पार्टिसिपेंट थी . निर्णायक समिति के बहुत सारे लोगों में से एक अंकल ने आकर मुझे बहुत प्यार किया और बताया की वो १८ बार भारत की यात्रा कर चुके है . उन्होंने भारत के लोगों के अपनेपन और यहाँ की संस्कृति की बहुत तारीफ की ........ममा को यह सुन कर बहुत ख़ुशी भी हुई और गर्व भी .
बाद में मैंने ममा के साथ डॉग परेड बहुत एन्जॉय की कुछ लोगों ने आकर मेरे साथ फोटों भी खिचवाई ...
मेरा ध्यान तो प्यारे प्यारे पपीस पर ही है !! |
जब किड्स परेड के विजेताओं की घोषणा हुई तो मैंने ममा से कहाँ की मुझे प्राईज़ क्यों नहीं मिला ...ममा ने बताया विजेताओं के कास्ट्यूम क्रिएटिव तो है ही उन्होंने बहुत अच्छे से परफोर्म भी किया ....पर वो तो बड़े है न !!
तीनो विजेता ....इन में एक और भी है फर्स्ट विनर लेकिन इस वक्त वो गायब थे :) |
ममा पापा कहने लगे प्रतियोगिता में भाग लेना बहुत बड़ी और अच्छी बात है विजेता तो कोई न कोई होगा ही. मैं बड़ी हो जाऊँगी और भी अच्छा करुँगी तो मैं भी रहूंगी वीनर....पार्टिसिपेशन इस द फर्स्ट स्टेप ऑफ़ विक्ट्री
चलो पहली सिड़ी तो चड़ी :)
सुबह से शाम तक हेलोवीन सेलिब्रेशन चला गेम, परेड, केंडी वितरण, डांस इत्यादि . हम लोग भी शाम तक त्यौहार के मज़े लेकर रात को घर आए .
आप भी देखिये डॉग परेड के मज़ेदार दृश्य ...
( हर तस्वीर पर क्लिक कर के बड़ा किया जा सकता ....दृश्य कि वास्तविकता और खूबसूरती बढ़ जाएगी !!)
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Monday, November 1, 2010
हेप्पी हेलोवीन ----------अनुष्का
हेप्पी हेलोवीन |
इतने सारे पम्किन .. |
मुझे तो यह छोटे छोटे ,रंग बी रंगे बहुत लुभाते है |
बड़े जतन से अपनी पसंद का ढूंड ही लिया . |
स्कूल जाने के पहले ममा ने मेरी कुछ तस्वीरें ली .....
परी हूँ मैं ....मुझे न छू ना :) |
मेजिक वर्ड्स ....छुम्म !!! |
आपको कैसी लगी, पिंक फ्लोरा फैरी ?? |
स्कूल में हमें हेलोवीन से जूड़ी कहानी सुनाई गई फिर सब बच्चों ने मिलकर एक बड़ा हैलोवीन केक कटा. कुछ गेम्स खिलाए गए उसके बाद पिनियाटा तोड़ा गया . सब बच्चों ने बारी बारी पिनियाटा पर जोर आजमाया जब वो टूटा तो ढ़ेर सारी केंडीस निकली जिसे सब बच्चों ने अपने अपने बेग में इक्कठा किया.
स्कूल में पिनियाटा फोड़ने की तैयारी है |
मैं भी ज़रा २ हाथ मार लूँ |
लौटरी !!....अपनी तो निकल पड़ी ,इत्ते सारे लोलीपोप्स और केंडी |
बाद में टीचर ने सब बच्चों को हेलोवीन गिफ्ट और चोकलेट्स दिए ....बहुत मज़ा आया .
मेरी क्लास टीचर मीस ऐंडी |
सेलिब्रेशन अभी जारी है :)
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