जब मैं एक साल की थी तब ममा ने मेरे खेल और मौज मस्ती के लिए यह गीत बनाया था ---रेल गाड़ी . अब तो यह मेरा मन भवन खेल बन गया है. रेल में बैठना और रेल देखना मुझे बहुत पसंद भी है . कई बार पापा मुझे बस रेल में बिठाने के लिए लॉन्ग आईलेंड से न्यूयार्क और तुरंत न्यूयार्क से लॉन्ग आईलेंड मुझे ले जाते थे . आज मैं ये मेरा मन पसंद बाल गीत आपके लिए लाई हूँ .
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
नगर नगर चली डगर डगर चली
गाँव गाँव चली शहर शहर चली
घड़ी घड़ी चली प्रहर प्रहर चली
रेल गाड़ी
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
नदियाँ के पार चली
चढ़ के पहाड़ चली
दरिया के पीछे
जंगल के अन्दर
नाचे मोर, झूमे बन्दर
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
नदियाँ के पार चली
चढ़ के पहाड़ चली
दरिया के पीछे
जंगल के अन्दर
नाचे मोर, झूमे बन्दर
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
नगर नगर चली डगर डगर चली
गाँव गाँव चली शहर शहर चली
घड़ी घड़ी चली प्रहर प्रहर चली
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
हर मौसम में आती जाती
हम को सारा देश घुमाती
रेल से जो कोई आता जाता
नए नए वो मित्र बनाता
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली
हर मौसम में आती जाती
हम को सारा देश घुमाती
रेल से जो कोई आता जाता
नए नए वो मित्र बनाता
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली......
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली......
17 comments:
झक पक छुक छुक
झक पक छुक छुक
रेल चली भाई, रेल चली.....
तेरे साथ मैं भी हूं !!
छुक छुक करती रेल चली ...बहुत सुन्दर गीत ...और ब्लॉग भी बहुत सुन्दर
बहुत बहत बहुत ही प्यारी कविता है.
अनुष्का, हम भी बैठेंगे रेल में :)
और आप ये गीत सुनाना...सबको
ठीक है न :)
तुम्हारी रेल और उसकी कविता दोनों अच्छे हैं. तुम इंजन में अकेली बैठीं,डिब्बों में दूसरों को भी बैठा लेतीं.
अरे बिटिया तेरी यह छुक छुक ओर तेरी मुस्कान दोनो ही बहुत सुंदर हे, ओर ममा ने गीत भी बहुत सुंदर लिखा हे, बहुत सा प्यार
रेल और रेल की कविता, दोनों ही बहुत सुंदर
तुम्हारी रेल और उसकी कविता दोनों अच्छे हैं.
बहुत सा प्यार
बहुत मज़ेदार!
Oh ho blog to bahut hi sundar banaya hai aur relgadee geet bhi kamaal ka.
बहुत सा प्यार
छुक छुक करती रेल चली|
बहुत ही प्यारी कविता है|
बहुत प्यारी कविता ....
सुन्दर रचना!
तुम्हारी मम्मा ओर तुम्हे प्यार!
आपकी चर्चा बाल चर्चा मंच पर भी तो है!
http://mayankkhatima.uchcharan.com/2011/02/30-33.html
बहुत सुन्दर बालगीत...
वाह बहुत सुंदर कविता ... चित्र तो और भी खिल रहे हैं,... ब्लॉग का कलेवर बहुत सुंदर है
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