अब मैं दो महीने की हो चुकी थी ....दादू दादी के साथ मेरे दो महीने कैसे बीते ना मुझे पता चला न उन्हें । वैसे तो दादू दादी को ५-६ महीनो के लिए रुकना ही था लेकिन उधर इण्डिया में मेरी दादी माँ की तबियत ठीक नहीं रहने लगी इसीलिए दादू दादी ने ३ महीने के बाद ही जाना तय कर लिया । उन्होंने तो यही सोचा था की कुछ और महीनो में मेरा पासपोर्ट भी आजाएगा फिर वो मम्मा और मुझे साथ ही लेकर जाएंगे पर ऐसा नहीं हुआ । मेरा तो पासपोर्ट अभी बन कर आया ही नहीं था और उनके जाने का दिन आगया ....सब लोग बहुत उदास थे और मैं भी ।
दादी की गोद की आदत भी लग गई थी मुझे तो और दादी मुझे जो हमेशा लोरी सुनाती थी "मेरा बुलबुल सो रहा है " उसे तो मैं बहुत ही ज्यादा मीस करने वाली थी .......
तब ऐसा ही लगा की यह अगर डाक्यूमेंट्स का चक्कर न होता तो अच्छा ही होता या फिर मेरे पंख ही होते तो उड़ कर उनके साथ चली जाती .......
एयरपोर्ट के लिए निकालने से पहले की उनके साथ मेरी यह तस्वीर ...
11 comments:
दादी के साथ अनुष्का बहुत प्यारी लग रही है, एक पप्पी लगाने का मन हो रहा है। प्यार।
अगर पंख मेरे होते तो,
नीलगगन तक जाती!
दादी-दादा के मन को मैं
बुलबुल-जैसी भाती!
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मैं फिर उनको मिसरी-जैसे,
मीठे गीत सुनाती!
रोज़-रोज़ मैं उनसे मिलने,
तितली बनकर जाती!
मन को भाने नए दोस्तों का दिन आया : सरस चर्चा (14)
बड़ी चंचल बिटिया है...दादी के साथ तो क्यूट लग रही है. शुभकामनायें.
बहुत प्यारी फोटो ...मन कर रहा है कि गोद में ले लूँ :):)
ारे आज दादा दादी के साथ? अब नानी के पास कब आयोगी?\ आशीर्वाद।
ईवा दीदी को पंखुरी की ओर से ढेर सारा पा (किसेज़).मैं भी आपकी तरह एक प्यारी सी बच्ची हूँ और अब आपकी दोस्त भी...!
अच्छी लग रही हैं तुम्हारी बातें.. और भी प्यारी प्यारी बातें बताओ अपने बारें में... :)
u r right anushka.... dada dadi ka pyar hota hi aisa hai.... photo bada sweet hai...golu polu sa....
बहुत बहुत शुभाशीष!
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आपकी पोस्ट की चर्चा तो यहाँ भी है!
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http://mayankkhatima.blogspot.com/2010/09/18.html
अनुष्का बिटिया बहुत प्यारी लग रही हो दादी की गोद में:)
आज दादी और दादू से भी मिलवा दिया. कितनी प्यारी और अच्छी नन्हीं परी हो तुम, प्यार.
रामराम
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